SCO Summit 2022: क्या समरकंद में राष्ट्रपति शी जिनपिंग से कोई 'तोहफा' लेकर लौटेंगे प्रधानमंत्री मोदी?

प्रधानमंत्री मोदी 24 घंटे से भी कम समय के लिए उज्बेकिस्तान के समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेने जा चुके हैं। उनकी इस यात्रा के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार कार्यालय और विदेश मंत्रालय ने उच्च स्तर पर तैयारी की है। प्रधानमंत्री के समरकंद रवाना होने से पूर्व कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने केंद्र की सरकार पर लद्दाख में 1000 वर्ग कि मी जमीन बिना युद्ध के चीन को देने का आरोप लगाया है। लद्दाख में चीन और भारत की पेट्रोलिंग प्वाइंट-15 समेत अन्य से फौज वापसी पर इससे बड़ा तंज भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कसा है। अब ऐसे में देखना है कि क्या प्रधानमंत्री समरकंद में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से कोई बड़ा तोहफा लेकर लौट पाते हैं?
क्या शी-जिनपिंग और शहबाज शरीफ से होगी वार्ता? हालांकि विदेश मंत्रालय प्रधानमंत्री मोदी की समरकंद में द्विपक्षीय वार्ताओं पर खुलकर जानकारी नहीं दे पा रहा है। अभी वह यह बताने की स्थिति में नहीं है कि प्रधानमंत्री चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से मिलेंगे अथवा नहीं? कोई द्विपक्षीय वार्ता होगी अथवा नहीं? हालांकि जब राष्ट्रों के राष्ट्राध्यक्ष शंघाई सहयोग संगठन जैसे सम्मेलनों में होते हैं तो किसी न किसी मोड़ (सम्मेलन हॉल, लॉबी, गलियारा अथवा अन्य अवसर) पर आमना-सामना होता है। कई बार ऐसे ही माहौल में द्विपक्षीय वार्ता की पृष्ठभूमि अचानक तैयार हो जाती है। इसलिए विदेश मंत्रालय ने एक विकल्प को खुला रखा है कि प्रधानमंत्री के दौरे के कार्यक्रम में आवश्यकता पड़ने पर कुछ बदलाव संभव है। द्विपक्षीय वार्ता या भेंट मुलाकात के बारे में कुछ कूटनीतिक जानकार कहते हैं कि इस समय भारत और चीन के रिश्ते अपने तनावपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं। इसलिए बहुत हद तक संभव है कि प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने से परहेज करें। वहीं प्रधानमंत्री मोदी की राजनीतिक शैली पर निगाह रखने वाले एक पूर्व राजनयिक का कहता है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर हों या राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल अथवा प्रधानमंत्री मोदी, यह पूरी टीम बस एक अवसर का इंतजार करती है। अवसर पर चूकती नहीं और कूटनीतिक समाधान खोज लिए जाते हैं। वह इसके लिए डोकलाम में चीन के सैनिकों के साथ बने गतिरोध का हवाला देते हैं। विदेश मामलों के जानकार वरिष्ठ पत्रकार रंजीत कुमार कहते हैं कि विदेश नीति तक तो ठीक है। कूटनीति में कुछ भी असंभव नहीं होता। इसलिए अभी कुछ कहना मुश्किल है। क्या है संभावनाए? भारत के लिए सबसे ज्वलंत मुद्दा चीन के साथ अपने द्विपक्षीय मुद्दों की बहाली का है। इसमें सीमा विवाद का मामला सबसे अहम है। डोकलाम से लेकर लद्दाख तक भारत के लिए सीमा विवाद और चीन का एकतरफा प्रयास काफी अहम है। विदेश मंत्री एस जयशंकर जून 2020 से लगातार चीन पर कूटनीतिक दबाव बनाए हैं। भारत के तमाम दबाव के बावजूद चीन ने अपने रुख में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया है। पेट्रोलिंग प्वाइंट-15 से चीन की सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अप्रैल 2020 से पहले के तैनाती स्थल पर लौट गई है। लेकिन उसने भारतीय दावे वाले भू-भाग पर बनाए गए बंकरों और आधारभूत संसाधन को ध्वस्त, नष्ट नहीं किया है। डिएस्केलेशन नहीं हुआ है।डेपसांग और डेमचोक का मसला भी है। इसके समानांतर भारतीय सेना को गलवान की तरह ही अपने दावे वाले भू-भाग से पीछे हटना पड़ा है और वास्तविक नियंत्रण रेखा से लेकर इस मध्य के क्षेत्र को बफर जोन के रूप में स्वीकार करना पड़ा है। एलएसी से 3-10 किमी तक क्षेत्र भारत ने छोड़ दिया है। दूसरी तरफ चीन और उसकी विस्तारवादी नीति को लेकर विश्व में नकारात्मक वातावरण भी अपने शीर्ष पर है। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति भारत के महाबलिपुरम में अनौपचारिक वार्ता प्रक्रिया के दौरान मिले थे। सीमा विवाद के अलावा अन्य मुद्दों को जोड़कर देखें तो भारत और चीन रूस के साथ आरआईसी, ब्रिक्स फोरम के भी सदस्य हैं। दोनों देशों के बीच संबंधों में आई शिथिलता के कारण व्यापार, आपसी संबंध, क्षेत्रीय, द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर भी काफी असर पड़ रहा है। तीन समकक्ष नेताओं के साथ प्रधानमंत्री करेंगे द्विपक्षीय वार्ता प्रधानमंत्री मोदी 15 सितंबर की रात (भारतीय समयानुसार) 9.30 बजे तक समरकंद पहुंचेगे। अगले दिन 16 सितंबर की सुबह 10.25 बजे वह वह एससीओ सदस्य देशों के प्रमुखों के स्वागत समारोह में शरीक होंगे। इस समारोह के बाद ही राष्ट्राध्यक्षों का फोटो सेशन कार्यक्रम होगा। जिसमें राष्ट्रपति पुतिन, राष्ट्रपति शी जिनपिंग, प्रधानमंत्री मोदी, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ समेत सभी राष्ट्राध्यक्ष होंगे। इसके बाद एससीओ समारोह आरंभ हो जाएगा। अगले चार घंटे में सभी राष्ट्राध्यक्ष तीन बार एक छत के नीचे होंगे। करीब 2.30 बजे प्रधानमंत्री उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति की तरफ से अधिकारिक बैंक्वेट में हिस्सा लेंगे। इस तरह से पांचवी बार खाने की मेज पर सभी राष्ट्राध्यक्ष होंगे। 4.10 बजे प्रधानमंत्री की रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन से द्विपक्षीय वार्ता प्रस्तावित है। 5.10 बजे उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय चर्चा होगी। 5.30 बजे ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के साथ प्रधानमंत्री मोदी आपसी वार्ता की मेज पर होंगे। अभी तय कार्यक्रम की रुपरेखा कुछ इसी तरह है। इसके अनुसार करीब 7.20 बजे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का समरकंद से दिल्ली के लिए रवाना होने का कार्यक्रम है। 17 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी का जन्मदिन है। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री इससे पहले दिल्ली लौट आएंगे। ऐसे में देखना है कि क्या राष्ट्रपति शी जिनपिंग से वह अपने जन्मदिन का कोई बड़ा तोहफा लेकर दिल्ली लौटते हैं? दुनिया के नक्शे पर सिर चढ़कर बोल रहा एससीओ सम्मेलन जब से एससीओ फोरम की शुरुआत हुई है, पहली बार इस पर अमेरिका समेत दुनिया के देशों की निगाहें हैं। रूस ने एससीओ में ईरान को विशेष तौर पर आमंत्रित किया है। चीन का दावा है कि उसने रूस के साथ अपने संबंधों को और विश्वसनीय बनाया है। भारत पहले से ही रूस का सामरिक और विश्वसनीय साझीदार देश है। रूस के राष्ट्रपति पुतिन यूक्रेन पर हमले के बाद पहली बार किसी अंतरराष्ट्रीय फोरम पर होंगे। माना जा रहा है कि रूस एससीओ के बहाने अपनी क्षेत्रीय मजबूती को बढ़ाने की कोशिश करेगा। यूक्रेन पर रूस के हमले को भी तार्किक और न्यायसंगत बताने का प्रयास करेगा। एससीओ के इस फोरम से दुनिया के देशों को भी स्पष्ट संदेश देने का प्रयास हो सकता है। रूस के लिए एससीओ फोरम को मजबूत बनाना भी एक चुनौती है एससीओ के सदस्य देश आपस में टकरा रहे हैं। सदस्य देशों में अभी भी कनेक्टिविटी, द्विपक्षीय व्यापार, आपसी संबंध चुनौती की तरह है। मसलन भारत-पाकिस्तान, भारत और चीन के संबंध तनावपूर्ण दौर में चल रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रीय फोरम के लिहाज से सदस्य देशों में इस तरह की खटपट का असर पूरे फोरम को कमजोर करता है। हालांकि अभी रूस खुद यूक्रेन में फंसा हुआ है, इसलिए इस बार के एससीओ शिखर सम्मेलन से बड़ी उम्मीद नहीं की जा सकती।

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Marketing. Several definitions have been proposed for the term marketing. Each tends to emphasize different issues. Memorizing a definition is unlikely to be useful; ultimately, it makes more sense to thinking of ways to benefit from creating customer value in the most effective way, subject to ethical and other constraints that one may have. The 2006 and 2007 definitions offered by the American Marketing Association are relatively similar, with the 2007 appearing a bit more concise. Note that the definitions make several points: A main objective of marketing is to create customer value. Marketing usually involves an exchange between buyers and sellers or between other parties. Marketing has an impact on the firm, its suppliers, its customers, and others affected by the firm’s choices. Marketing frequently involves enduring relationships between buyers, sellers, and other parties. Processes involved include “creating, communicating, delivering, and exchanging offerings.”

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