प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15-16 सितंबर को समरकंद, उज्बेकिस्तान का दौरा करेंगे। इस दौरान वे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद की 22वीं बैठक में भाग लेंगे। पीएम मोदी उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शवकत मिर्जियोयेव के निमंत्रण पर समरकंद जाएंगे। इससे पहले जून 2019 में किर्गिस्तान के बिश्केक में एससीओ सम्मेलन हुआ था। अगले साल भारत एससीओ सम्मेलन की मेजबानी करेगा।
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, शिखर सम्मेलन के दौरान नेताओं से पिछले 2 दशकों में संगठन की गतिविधियों की समीक्षा करने और राज्य और बहुपक्षीय सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा करने की उम्मीद है। इस दौरान क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के सामयिक मुद्दे भी बात हो सकती है। शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री के द्विपक्षीय बैठकें करने की संभावना है।
इस बार के एससीओ सम्मेलन का एजेंडा क्षेत्रीय शांति, महिला सशक्तीकरण, गरीबी उन्मूलन और खाद्य सुरक्षा है। हालांकि, एजेंडे के इतर मोदी-जिनपिंग और मोदी-शाहबाज की मुलाकात के कयास लगाए जा रहे हैं।
इसमें चीन, रूस और पाकिस्तान के नेता शामिल होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी शिखर सम्मेलन शामिल होंगे। इससे पहले चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ प्रधानमंत्री मोदी की फेस टू फेस द्विपक्षीय बैठक ब्राजील के ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हुई थी, जिसे नवंबर 2019 में आयोजित किया गया था।
एससीओ में ये देश शामिल
वर्तमान में शंघाई सहयोग संगठन में आठ देश चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। चार पर्यवेक्षक देश अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया संगठन की पूर्ण सदस्यता में शामिल होने में रुचि रखते हैं। संगठन में छह देश आर्मेनिया, अजरबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और तुर्की संवाद भागीदार की भूमिका में हैं। पिछले साल एक पूर्ण सदस्य देश के रूप में ईरान की प्रक्रिया शुरू करने का फैसला लिया गया था। वहीं, नए संवाद भागीदार के रूप में यह फैसला मिस्र, कतर और सऊदी अरब के लिए लिया गया था।
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