रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को अपने अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन के साथ टेलीफोन पर बातचीत की। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच कई मुद्दों पर वार्ता हुई। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट करके इस वार्ता के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उन्होंने अमेरिकी रक्षा सचिव से पाकिस्तान के F-16 बेड़े के लिए पैकेज प्रदान करने के अमेरिकी सरकार के निर्णय पर भारत की चिंता जाहिर की।
राजनाथ सिंह ने बताया कि अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन के साथ टेलीफोन पर सार्थक बातचीत हुई। उन्होंने कहा कि हमारे बीच सामरिक हितों के बढ़ती एकरूपता और रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने के बारे में वार्ता हुई। साथ ही हमने तकनीकी और औद्योगिक सहयोग को मजबूत करने और उभरती और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में सहयोग का पता लगाने के तरीकों पर भी चर्चा की।
उन्होंने पाकिस्तान का जिक्र करते हुए कहा कि बातचीत के दौरान मैने पाकिस्तान के F-16 बेड़े के लिए पैकेज प्रदान करने के हाल ही में लिए गए अमेरिकी निर्णय पर भारत की चिंता भी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भारत-अमेरिका साझेदारी को और मजबूत करने के लिए सेक्रेटरी ऑस्टिन बातचीत जारी रखने के लिए तत्पर हैं।
दरअसल, बाइडन प्रशासन ने आठ सितंबर को पाकिस्तान को एफ-16 युद्धक विमानों के वास्ते 45 करोड़ डॉलर की मदद देने की मंजूरी दी थी। पिछले चार सालों में वाशिंगटन की ओर से इस्लामाबाद को दी गई यह पहली बड़ी सुरक्षा सहायता है।
भारत ने इसे लेकर चिंता जताई है। वहीं, भारत की चिंताओं से इतर अमेरिका ने अपने इस कदम को जायज ठहराया है। अमेरिका ने कहा है कि ये सहायता अमेरिका और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंधों का अहम हिस्सा है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि हमने हाल ही में कांग्रेस (संसद) को अवगत कराया है कि हम पाकिस्तानी वायु सेना के एफ-16 विमानों की मरम्मत और रखरखाव के लिए 45 करोड़ डॉलर देने जा रहे हैं।
प्राइस ने कहा, पाकिस्तान कई मामलों में हमारा एक महत्वपूर्ण साझेदार है। वह आतंकवाद के खिलाफ जंग में हमारा एक अहम साझेदार है। हम अपनी नीति के तहत अमेरिका में निर्मित उपकरणों की मरम्मत और रखरखाव के लिए सहायता उपलब्ध कराते हैं। उन्होंने कहा, पाकिस्तान का एफ-16 कार्यक्रम अमेरिका-पाकिस्तान के द्विपक्षीय संबंधों का एक अहम हिस्सा है और इस मदद से पाकिस्तान को एफ-16 बेड़े की मरम्मत के लिए सहायता मिलेगी, जिससे वह आतंकवाद के वर्तमान और भविष्य के खतरों से निपट सकेगा।